दिल्ली : पहली बार भाजपा सांसद बने नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को पांच कैबिनेट सहयोगियों के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित उनके पूरे मंत्रिमंडल ने मंगलवार सुबह इस्तीफा दे दिया. इसके बाद भाजपा विधायकों की बैठक के दौरान अगले मुख्यमंत्री के लिए सैनी का नाम सर्वसम्मति से तय किया गया. सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे क्या-क्या वजहें रहीं यह जानना जरूरी है.
सैनी की शीर्ष पद पर पदोन्नति को गैर-जाट और ओबीसी मतदाताओं को खुश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इसके अलावा, यह खट्टर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने का भी एक प्रयास है, जो 2014 से सत्ता में थे. हरियाणा की राजनीति में जाट यानी जमींदार समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है, का समर्थन मोटे तौर पर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के बीच बंटा हुआ है.
मीडिया में चली खबरों के मुताबिक ओबीसी होने और खट्टर के करीबी होने के अलावा, आरएसएस के साथ पुराने जुड़ाव ने भी सैनी को शीर्ष तक पहुंचने में मदद की.
मीडिया में चली खबरों की माने एक भाजपा नेता ने कहा, “यह अन्य पिछड़ी जातियों के भीतर उप-जातियों का समर्थन हासिल करने की भाजपा की रणनीति है.”
कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी, जिन्होंने 3.83 लाख से अधिक के भारी मतों के अंतर से सीट जीती थी, को पिछले साल अक्टूबर में राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. साल 1970 में जन्मे सैनी ने लगभग 30 साल पहले राजनीति में प्रवेश किया था. 2014 के विधानसभा चुनाव में वह नारायणगढ़ से विधायक चुने गए. उन्हें 2016 में कैबिनेट में शामिल किया गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में सैनी ने कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, उन्होंने कांग्रेस के निर्मल सिंह को भारी अंतर से हराया था.